ईमानदारी का फल:
अली एक खान में काम करने वाला मजदूर था जो अपने परिवार के साथ जंगल के निकट एक छोटे से घर में रहता था। एक दिन अली के साथ खान में एक दुर्घटना घटी। चोट के कारण वह काम करनें में असमर्थ हो गया। इससे उसका तथा उसके परिवार का जीवन कठिन हो गया। जब उसके घाव भरने लगे तो वह अपने परिवार के पालन - पोषण का उपाय ढूंढने के लिए जंगल जाने लगा।
एक दिन अली जंगल में एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ था। अचानक उसने तेजी से दौड़ते घोडों की आवाज सुनी। उसने राजकुमार को घोड़े पर सवार तथा उसके पीछे सैनिकों का एक समूह देखा। वे लोग एक हिरण का पीछा कर रहे थे। जब वे लोग चले गए तब जंगल फिर से शांत हो गया। उसने उस रास्ते पर कुछ गिरा देखा जिस रास्ते से घोड़े गए थे।
एक दिन अली जंगल में एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ था। अचानक उसने तेजी से दौड़ते घोडों की आवाज सुनी। उसने राजकुमार को घोड़े पर सवार तथा उसके पीछे सैनिकों का एक समूह देखा। वे लोग एक हिरण का पीछा कर रहे थे। जब वे लोग चले गए तब जंगल फिर से शांत हो गया। उसने उस रास्ते पर कुछ गिरा देखा जिस रास्ते से घोड़े गए थे।
उसने वह चीज उठाई तथा देखा कि वह एक बहुत सुंदर चमड़े का बटुआ है। बटुए के ऊपर राजकुमार का नाम सोने से लिखा था। उसने धीरे से बटुआ खोला। उसमें ढेरों स्वर्ण मुद्राए थीं। अली वहीं बैठकर राजकुमार तथा उसके सिपाहियों का इंतजार करने लगा, जिससे वह बटुआ राजकुमार को लौटा दे। धीरे-धीरे अंधेरा हो गया। जब देर रात हो गईं थी परन्तु राजकुमार का कोई पता नहीं चला। अब अली ने घर वापस जाने का निर्णय लिया। अली को पत्नी ने देर से आने का कारण पूछा, अली ने सारी वात बता दी।
उसकी पती अत्यंत प्रसन्न हुई । उसने कहा, "यह भगवान का हमारे लिए उपहार है।" अली चकित हो गया। उसने कहा, "यह पैसा हमारा नहीं हैं, यह राजकुमार का है। मैंने इसे पाया है इसलिए मैं इसे अवश्य लौट आऊँगा।'' उसकी पत्नी पुनः बोली "राजकुमार के पास बहुत सम्पत्ति है। हम लोगों को इसकी बहुत जरूरत है। हमें इन मुद्राओं को अपने लिए रखना चाहिए।" उसने बहुत धीरे से कहा "हमने यह नहीं चुराया है। इसे जंगल में पाया इसलिए हम इसे रख सकते हैं।" अली ने अपनी पत्नी से विवाद नहीं करने का निर्णय लिया। उसने बटुए को अलमारी मे रखा तथा अपने परिवार के साथ बैठकर उनकी बातों को सुनने लगा। दूसरे दिन, अली प्रातः परिवार के दूसरे सदस्यों से पहले जागा और घर से निकल गया। वह राजकुमार के महल को खोजने लगा।
जब वह महल मेँ पहुंचा तो चौकीदारों ने उसे महाद्वार पर ही रोक दिया। चौकीदारों ने पूछा कि वह राजकुमार से क्यों मिलना चाहते हैं परन्तु अली ने कारण बताने से इंकार कर दिया। सिर्फ इतना कहा कि उसे एक बहुत जरूरी कार्य के बारे में राजकुमार से तुरंत मिलना है।
अली ने कहा, " मुझे राजकुमार से अवश्य मिलना है। मैं उनसे बिना मिले "वापस नहीं जाऊंगा।'' चौकीदारों ने उसे धक्का देकर दूर कर दिया परन्तु वह राजकुमार से मिलने की जिद्द पर अड़ा रहा। जैसे ही चौकीदारों ने चिल्लाना शुरू किया, अचानक राकुमार की कार दरवाजे की ओर आई। अली कार के सामने आया। राजकुमार ने कार की खिडकी खोली तथा पूछा कि वह क्या चाहता है। अली ने उसे बटुआ सौंप दिया ।
राजकुमार ने चकित होकर अली से पूछा कि उसने इसे कहां पाया। अली ने उसे जंगल की कहानी सुनाईं। राजकुमार ने बटुआ खोला। राजकुमार अपना सारा धन सुरक्षित पाकर आश्चर्यचकित हो गया।
राजकुमार ने अली से पूछा, "तुमने यह पैसा क्यों नहीं लिया। “अली ने जवाब दिया" मैँ वह चीज़ नहीं ले सकता जो मेरी नहीं है। सम्मान की एक किरण राजकुमार की आंखों में दिखाई दी।
राजकुमार ने बटुए से ढेरों मुद्राएं निकालीं तथा अली को ईमानदारी के लिए पुरस्कृत करते हुए ढेर सारी सम्पत्ति उपहार में उसको दे दी।
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