मनुष्य का मन एक हाथी जैसा - भगवान् को बार-बार याद करो
एक हाथी है उसे नहला धुला कर छोड़ दो तब फिर वह क्या करेगा ? मिट्टी में खेलेगा और अपने शरीर को फिर गन्दा कर लेगा, कोई उस पर बैठे तो उसका शरीर भी गन्दा अवश्य होगा । लेकिन यदि हाथी को स्नान कराने के बाद पक्के बाड़े में बाँध दिया जाये ?-तब फिर हाथी अपना शरीर गन्दा नहीं कर सकेगा ।मनुष्य का मन भी हाथी के समान है एक बार ध्यान साधन और भगवान् के भजन से वह शुद्ध हो गया तो उसे स्वतन्त्र नहीं कर देना चाहिये । इस संसार में पवित्रता भी है, मन का स्वभाव है वह गन्दगी में जायेगा और मनुष्य देह को दूषित करने से नहीं चूकेगा इसलिये उसे गन्दगी से बचाये रखने के लिये एक बाड़े की जरूरत होती है जिसमें वह घिरा रहे । गन्दगी की सम्भावनाओं वाले स्थानों में न जा सके ।
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